Pea (मटर)

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Cultivation

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Harvesting

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Labour

Low

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Sunlight

Low

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pH value

6 - 7.5

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Temperature

15 - 30 °C

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Fertilization

NPK @ 20:25:# Kg/Acre 45kg/acre urea, SSP155kg/acre

Pea (मटर)

Basic Info

मटर (Peas Crop) की उन्नत खेती - मटर की खेती से धनवर्षा
भारत की एक महत्वपूर्ण फसल मटर को दलहनों की रानी की संज्ञा प्राप्त है। मटर की खेती, हरी फल्ली, साबूत मटर तथा दाल के लिये की जाती है। मटर की हरी फल्लियाँ सब्जी के लिए तथा सूखे दानों का उपयोग दाल और अन्य भोज्य पदार्थ तैयार करने में किया जाता है। चाट व छोले बनाने में मटर का विशिष्ट स्थान है। हरी मटर के दानों को सुखाकर या डिब्बा बन्द करके संरक्षित कर बाद में उपयोग किया जाता है। पोषक मान की दृष्टि से मटर के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 22.5 ग्राम प्रोटीन, 1.8 ग्रा. वसा, 62.1 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 64 मिग्रा. कैल्शियम, 4.8 मिग्रा. लोहा, 0.15 मिग्रा. राइबोफ्लेविन, 0.72 मिग्रा. थाइमिन तथा 2.4 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। फलियाँ निकालने के बाद हरे व सूखे पौधों का उपयोग पशुओं के चारे के लिए किया जाता है। दलहनी फसल होने के कारण इसकी खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। हरी फल्लिओं के लिए मटर की खेती करने से उत्तम खेती और सामान्य परिस्थिओं में प्रति एकड़ 50-60 क्विंटल हरी फल्ली प्राप्त होती है।

Seed Specification

बीज की मात्रा
अगेती बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40-50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।

बुवाई का समय 
मटर की खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर माह का समय उपयुक्त होता है।
 
बुवाई का तरीका
मटर की बुवाई सीडड्रिल द्वारा की जाती है।

दुरी और गहराई 
30 सेंमी. की दूरी पर और बीज की गहराई 5-7 सेंमी. रखनी चाहिये जो मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है। 

बीज उपचार
बुवाई करने से पहले बीजों को मेंकोजेब या केप्टान या थीरम 3 ग्राम /किलो बीज से बीज उपचारित करना चाहिए। तथा रासायनिक तरीके से बीज उपचार करने के बाद राइजोबियम कल्चर को गुड़ और पानी के घोल के साथ बीज उपचार करने से उत्पादन में वृद्धि होती है। ध्यान रहे राइजोबियम से उपचारित करने के 4-5 दिन पहले रासायनिक फफूंदनाशक से बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
मटर की खेती अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई से पूर्व खेत तैयार करते समय वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए। रासायनिक उर्वरक की मात्रा नाइट्रोजन 20 किलो, फास्फोरस 25 किलो की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें। और पोटाश की कमी वाले क्षेत्रो में 20 किलो पोटाश/एकड़ प्रयोग करें। ध्यान रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही प्रयोग में लाये।

Crop Spray & fertilizer Specification

मटर (Peas Crop) की उन्नत खेती - मटर की खेती से धनवर्षा
भारत की एक महत्वपूर्ण फसल मटर को दलहनों की रानी की संज्ञा प्राप्त है। मटर की खेती, हरी फल्ली, साबूत मटर तथा दाल के लिये की जाती है। मटर की हरी फल्लियाँ सब्जी के लिए तथा सूखे दानों का उपयोग दाल और अन्य भोज्य पदार्थ तैयार करने में किया जाता है। चाट व छोले बनाने में मटर का विशिष्ट स्थान है। हरी मटर के दानों को सुखाकर या डिब्बा बन्द करके संरक्षित कर बाद में उपयोग किया जाता है। पोषक मान की दृष्टि से मटर के 100 ग्राम दाने में औसतन 11 ग्राम पानी, 22.5 ग्राम प्रोटीन, 1.8 ग्रा. वसा, 62.1 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 64 मिग्रा. कैल्शियम, 4.8 मिग्रा. लोहा, 0.15 मिग्रा. राइबोफ्लेविन, 0.72 मिग्रा. थाइमिन तथा 2.4 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है। फलियाँ निकालने के बाद हरे व सूखे पौधों का उपयोग पशुओं के चारे के लिए किया जाता है। दलहनी फसल होने के कारण इसकी खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। हरी फल्लिओं के लिए मटर की खेती करने से उत्तम खेती और सामान्य परिस्थिओं में प्रति एकड़ 50-60 क्विंटल हरी फल्ली प्राप्त होती है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
मटर की खेती में खरपतवार की रोकथाम के निराई गुड़ाई करे। और बुवाई के 2 दिन बाद तक पैंडीमैथालीन 38.7% सी.एस. 700 मिली./एकड़ का छिड़काव करें।

सिंचाई 
मटर की बुवाई करते समय खेत में अच्छी नमी होना चाहिए।  मटर की खेती में 1-2 सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। पहली सिंचाई फूल निकलने से पहले और दूसरी फलियां भरने की अवस्था में करें। भारी सिंचाई से पौधों में पीलापन बढ़ जाता है और उपज में कमी आती है।

Harvesting & Storage

कटाई एवं गहाई
हरी फल्लियों के लिए बोई गई फसल दिसम्बर- जनवरी में फल्लियाँ देती है। फल्लियों को 10-12 दिन के अंतर पर 3-4 बार में तोड़ना चाहिए। तोड़ते समय फल्लियाँ पूर्ण रूप से भरी हुई होना चाहिए, तभी बाजार में अच्छा भाव मिलेगा। दानों वाली फसल मार्च अन्त या अप्रैल के प्रथम सप्ताह में पककर तैयार हो जाती है। फसल अधिक सूख जाने पर फल्लियाँ खेत में ही चटकने लगती है। इसलिये जब फल्लियाँ पीली पड़कर सूखने लगे उस समय कटाई कर लें। फसल को एक सप्ताह खलिहान में सुखाने के बाद बैलों की दाँय चलाकर गहाई करते है। दानों को साफ कर 4-5 दिन तक सुखाते है जिससे कि दानों में नमी का अंश 10-12 प्रतिशत तक रह जाये।

उपज एवं भण्डारण
मटर की हरी फल्लियों की पैदावार 150-200 क्विंटल तथा फल्लियाँ तोड़ने के पश्चात् 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हरा चारा प्राप्त होता है। दाने वाली फसल से औसतन 20-25 क्विंटल दाना और 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर भूसा प्राप्त होता है। जब दानों मे नमी 8-10 प्रतिशत रह जाये तब सूखे व स्वच्छ स्थान पर दानो को भण्डारित करना चाहिए।

Crop Disease

Helicoverpa Caterpillar ( हेलिकोवर्पा कैटरपिल)

Description:
{क्षति हेलिकोवर्पा आर्मिगेरा के कैटरपिलर के कारण होती है, जो कई फसलों में एक आम कीट है। एच. आर्मिगेरा सबसे अधिक में से एक कृषि में विनाशकारी कीट। पतंगे हल्के भूरे रंग के होते हैं, जिनका पंख 3-4 सेंटीमीटर लंबा होता है। वे आम तौर पर पीले से नारंगी या भूरे रंग के होते हैं गहरे रंग के पैटर्न के साथ धब्बेदार फोरविंग्स।}

Organic Solution:
स्पिनोसैड पर आधारित जैव कीटनाशकों का प्रयोग करें, लार्वा को नियंत्रित करने के लिए न्यूक्लियोपॉलीहेड्रोवायरस (एनपीवी), मेटारिज़ियम एनिसोप्लिए, ब्यूवेरिया बेसियाना या बैसिलस थुरिंगिएन्सिस। (spinosad, nucleopolyhedrovirus (NPV), Metarhizium anisopliae, Beauveria bassiana or Bacillus thuringiensis)

Chemical solution:
क्लोरेंट्रानिलिप्रोल, क्लोरोपाइरीफोस पर आधारित उत्पाद, साइपरमेथ्रिन, अल्फा- और ज़ेटा-साइपरमेथ्रिन, एमेमेक्टिन बेंजोएट, एस्फेनवालेरेट, फ्लुबेंडियामाइड, या इंडोक्साकार्ब (chlorantraniliprole, chloropyrifos, cypermethrin, alpha- and zeta-cypermethrin, emamectin benzoate, esfenvalerate, flubendiamide, or indoxacarb ) का उपयोग किया जा सकता है (आमतौर पर @ 2.5 मिली/ली.)

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Thrips

Description:
{थ्रिप्स 1-2 मिमी लंबे, पीले, काले या दोनों रंग के होते हैं। कुछ किस्मों में दो जोड़ी पंख होते हैं, जबकि अन्य के पंख बिल्कुल नहीं होते। वे पौधों के अवशेषों में या मिट्टी में या वैकल्पिक मेजबान पौधों पर हाइबरनेट करते हैं।}

Organic Solution:
कीटनाशक स्पिनोसैड (spinosad) आम तौर पर अधिक प्रभावी होता है, किसी भी रासायनिक या अन्य जैविक योगों की तुलना में । नीम के तेल या प्राकृतिक पाइरेथ्रिन (pyrethrins) का प्रयोग करें, विशेष रूप से पत्तियों के नीचे की तरफ।

Chemical solution:
प्रभावी संपर्क कीटनाशकों में फाइप्रोनिल (fipronil), इमिडाक्लोप्रिड (imidacloprid), या एसिटामिप्रिड (acetamiprid) शामिल हैं, जिन्हें कई उत्पादों में बढ़ाने के लिए पिपरोनिल ब्यूटॉक्साइड (piperonyl butoxide) के साथ जोड़ा जाता है।

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Leaf Miner Flies

Description:
{लक्षण दुनिया भर में कई हजार प्रजातियों के साथ, एग्रोमीज़िडे के परिवार से संबंधित कई मक्खियों के कारण होते हैं। वसंत में, मादाएं पत्ती के ऊतकों को छेदती हैं और अपने अंडे देती हैं। लार्वा ऊपरी और निचले पत्ते के बीच फ़ीड करते हैं। वे बड़ी सफेद घुमावदार सुरंगों का निर्माण करते हैं।}

Organic Solution:
नीम के तेल उत्पादों (अजादिराच्टिन) को लार्वा के खिलाफ सुबह या देर शाम को पत्तियों पर स्प्रे करें। उदाहरण के लिए, नीम के तेल का छिड़काव करें (15000 पीपीएम) 6 मिली/लीटर की दर से। अच्छी पत्ती कवरेज सुनिश्चित करें।

Chemical solution:
व्यापक परछाई ऑर्गनोफॉस्फेट (organophosphates), कार्बामेट्स (carbamates) और पाइरेथ्रोइड्स (pyrethroids) परिवारों के कीटनाशक वयस्कों को अंडे देने से रोकते हैं, लेकिन वे उन्हें नहीं मारते हैं।

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Related Varieties

Frequently Asked Question

भारत में मटर कहाँ उगाए जाते हैं?

आप जानते हैं कि यह पूरी दुनिया में उगाई जाने वाली ठंडी फसल है। हरी फली का उपयोग सब्जी के उद्देश्य के लिए किया जाता है और सूखे मटर को दाल के रूप में उपयोग किया जाता है। भारत में, इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और बिहार में की जाती है।

मटर को कितना उर्वरक चाहिए?

आप जानते हैं कि मटर में बुवाई के समय 20 किग्रा नाइट्रोजन और 60 किग्रा फास्फोरस पर्याप्त होता है। पोटेशियम की कमी वाले क्षेत्र 20 किलो पोटाश दे सकते हैं।

भारत में आप किस महीने मटर लगाते हैं?

आप जानते हैं कि मटर के बीजों की बुवाई का समय खेती के क्षेत्र पर निर्भर करता है। भारत में, रबी सीजन की फसल की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर से मध्य नवंबर तक मैदानी इलाकों में शुरू होती है। पहाड़ियों में, यह मार्च के मध्य से मई के अंत तक होगा। उच्च उपज प्राप्त करने के लिए, 1 नवंबर के सप्ताह के दौरान बीज बोना पसंद किया जाता है।

कौन सा देश सबसे अधिक मटर उगाता है?

आप जानते हैं कि कनाडा दुनिया का सबसे बड़ा मटर उत्पादक है, जिसके बाद रूस, चीन, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।

मटर की फसल के साथ कौन सी फसलें उगा सकते हैं ?

कुछ इंटरक्रॉपिंग बागवानी युक्तियों में मटर के साथ पालक, लेट्यूस या स्कैलियन के साथ चार्ड, गोभी के साथ भिंडी, लेट्यूस के साथ मूंगफली शामिल हैं।

मटर के पौधे की अच्छे विकास के लिए क्या उपयुक्त होता हैं?

धूप वाली जगह और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें। जबकि मटर आंशिक छाया में उग सकते हैं, वे उतने मीठे या उत्पादक नहीं होंगे जितने पूर्ण सूर्य में उगाए जाते हैं। अपने पौधों को सबसे अच्छी शुरुआत देने के लिए, खेत की अच्छी तरह जुताई कर मिट्टी को पलट दें , अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।

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